एक तरफ सरकार और तमाम विभाग हरेला मनाने की तैयारी कर रहे हैं। दूसरी तरफ जौलीग्रांट और आसपास के क्षेत्र में दर्जनों हरे पेड़ों पर लगभग हर रोज आरी चलाई जा रही है। जौलीग्रांट में तुन, सेमल, जामुन और दूसरे दर्जनों पुराने पेड़ों को काटा जा चुका है।
नए शासनादेश में सिर्फ पंद्रह प्रजातियों को छोड़कर बाकी सभी प्रजातियों को छूट प्रजाति में शामिल करने के बाद पेड़ों की जैसे शामत आ गई हो। वन विभाग, उद्यान विभाग या किसी अन्य विभाग की किसी तरह की कार्रवाई का डर न होने से खुलेआम दशकों पुराने बेशकीमती पेड़ों को काटा जा रहा है। शनिवार को जूनियर हाईस्कूल कोठारी मोहल्ले के पास तुन के तीन पेड़ और स्कूल से कोठारी मोहल्ले जाने वाले मार्ग से भी तुन का एक पेड़ काटकर लकड़ी भी उठा ली गई।
हाल ही में नैथानी फार्म जौलीग्रांट के पास से तुन के दो दशक पुराने पेड़ काटे गए। पाल मोहल्ले में एक धार्मिक स्थल से दर्जनों सेमल और दूसरी प्रजाति के पेड़ काट दिए गए। इसके अलावा, जौलीग्रांट में कुछ दिन पहले भी तुन और दूसरी प्रजातियों के पेड़ों को काटा गया था। संबंधित वन अधिकारी नए शासनादेश का हवाला देकर कोई भी कार्रवाई करने से हाथ खड़े कर रहे हैं।
छूट प्रजाति के साथ प्रतिबंधित पर भी आरी
पेड़ तस्कर छूट प्रजाति के पेड़ों की आड़ में प्रतिबंधित पेड़ों को भी काट रहे हैं। पिछले दिनों अपर जौलीग्रांट में एक खेत की बाड़ से तस्करों ने चंदन के तीन पेड़ों पर आरी चलाई थी। स्थानीय लोगों के जागने पर तस्कर लकड़ी छोड़कर फरार हो गए थे। तस्कर अब स्वचालित आरी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
नए शासनादेश में तुन, जामुन और दूसरी प्रजातियों को छूट प्रजाति में शामिल किया गया है। इससे वन विभाग इन पेड़ों को काटने से नहीं रोक पा रहा है। – एनएल डोभाल, रेंजर थानो
नए कानून की आड़ में प्रतिबंधित प्रजाति के पेड़ भी काटे जा रहे हैं। कई तस्कर इन दिनों पूरे क्षेत्र में सक्रिय होकर पेड़ काट रहे हैं।